Wednesday, June 6, 2018

नित नयन नव नूतन .....छुअन 
उस  छवि  रमन मन गमन..... 
लागि लगन...... जैसे ........  
पवन हुई मगन सुमन..... सुमन.......
डोले वन उपवन 
बोले प्रीत ..... हुई मीत ....... 
संग - संग पाकि - पाकि गगन - गगन 
घन - घन सघन - सघन
उदर  उर तन मन बाजे मृदंग .... 
उतरे तरंग 
जैसे नील वर्ण श्यामल सुगंध फैले ...... 
भोर - भोर हुए पोर - पोर .... 
शीतल तपन  हुई किरण - किरण 
जैसे ......
रवि शशि दोनों प्रेम रत्त 
पृथ्वी .. जल...  थल....  नग्न नग्न ........(शाश्विता)    




 

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