नित नयन नव नूतन .....छुअन
उस छवि रमन मन गमन.....
लागि लगन...... जैसे ........
पवन हुई मगन सुमन..... सुमन.......
डोले वन उपवन
बोले प्रीत ..... हुई मीत .......
संग - संग पाकि - पाकि गगन - गगन
घन - घन सघन - सघन
उदर उर तन मन बाजे मृदंग ....
उतरे तरंग
जैसे नील वर्ण श्यामल सुगंध फैले ......
भोर - भोर हुए पोर - पोर ....
शीतल तपन हुई किरण - किरण
जैसे ......
रवि शशि दोनों प्रेम रत्त
पृथ्वी .. जल... थल.... नग्न नग्न ........(शाश्विता)
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