Tuesday, February 5, 2019

स्पर्श

गीली मिट्टी
फिर......
सूख गई,
सूखी ज़मीन,
भीग गई...
ठण्डी नमी
जलने लगी
भीगी साँसे
सिमट गईं,
मेरे साथ,
मेरे लिए
फिर भी
कुछ,
बाकी रहा
जल ना सका
सुलगता रहा.......
एक टुकड़ा
धूप का .....
दर्द का
करार का .......
चांदनी की दावत में
सितारों पर शबाब था
बादलों में....
गुफ़्तगू थी
घटाओं को पैगाम था
छू गया....
मूझे ले गया
मेरा ही साया वो,,
गीला मन
भीगता गया.....

2 comments:

  1. Chandani ki dawat may sitaroon par Shabab tha❤️🧡💛💚....sunder bahut sunder

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चूड़ियों की खनक थी वहाँ, काँच की चुभन भी..... खामोश थी वह, कुछ हैरान भी लगातार, वह तलाशती है कुछ अनदेखा...... भीतर गहरे में कहीं गूँजत...