Monday, January 28, 2019

प्रेत पीड़ा

वह अचानक प्रकट होता है
कुछ विचित्र स्वाभाव के साथ
सम्पूर्ण वर्चस्व के साथ; दर्शाता है अपनी सत्ता
कारण वश........
वह पूरी तरह आज भी है अस्तित्व में;
कुंठित भावनाओं के साथ
विचलित मानसिकता के साथ; माहौल में पूरी तरह सवतंत्र.....
उद्दंड संकेतो के साथ वह हमारी शांति में उतरता है
उसके स्मरण में हैं ...........
सारी भौतिकता.....
पीड़ाएँ सारी
व्यथाएं सारी
संचित वेग और भरपूर उद्विग्नता
विपरीत मनोवृत्ति में अतृप्त कहानी को वह अपनी ही तरह दोहराएगा.
जवलंत प्रष्न चिन्हो में ग्रस्त वह प्रेत आपदाओं के साथ पुनः पुनः आएगा.
हमारे सम्मुख यह मौलिक ज़िम्मेदारी है.....
प्रेत होती मानसिकता से समस्त वायुमंडल का शोधन करना
प्रेत हो जाने की हर सम्भावना को मूलता विरेचित करना
प्रत्येक दिशा में भटकते दिशाहीन प्रेत को सम्पूर्ण विशवास के साथ मानवीय सम्बोधन देना
प्रेम की साँची सत्ता के साथ प्रेत प्रतिकूलता को विजयी स्पर्श देना
करना आवाहन प्रथम स्पन्दन का.....
.......और.....
बिना किसी प्रताड़ना; प्रेत विसर्जित हो जाये
पुनः कभी आवृत ना हो पाए प्रेत
वह मुक्त हो जाये.
(Dr Shashvita)


1 comment:

  1. Very nice craft...❤❤
    Creativity to be appreciated ����

    ReplyDelete

चूड़ियों की खनक थी वहाँ, काँच की चुभन भी..... खामोश थी वह, कुछ हैरान भी लगातार, वह तलाशती है कुछ अनदेखा...... भीतर गहरे में कहीं गूँजत...