जहाँ,नीली नदी
और,
गहरी होती है.......
आसमान........
कुछ और,
खामोश.......
बादलों की तलब,
और......
जवान होती है,
बूँदे थिरकती हैं हरिताल पर.......
वहाँ.....जहाँ,
अगनित संभावनाओं में,
......तुमने.....
उतारा है मुझे
समय की इकाई से,
कुछ आगे........
समय की इकाई से,
आगे........
जहाँ, कुछ नहीं रहता शेष
तुम्हारी धड़कनो से उतर,
साँसें ओढ़ती हैं मुझे
अंततः देती हैं......विराम
उस......सांवली गहराई को छूना है
तमाम अर्थो में उतरना हैं,
अस्तित्व होना है......आज
स्पर्श दो मुझे.
और,
गहरी होती है.......
आसमान........
कुछ और,
खामोश.......
बादलों की तलब,
और......
जवान होती है,
बूँदे थिरकती हैं हरिताल पर.......
वहाँ.....जहाँ,
अगनित संभावनाओं में,
......तुमने.....
उतारा है मुझे
समय की इकाई से,
कुछ आगे........
समय की इकाई से,
आगे........
जहाँ, कुछ नहीं रहता शेष
तुम्हारी धड़कनो से उतर,
साँसें ओढ़ती हैं मुझे
अंततः देती हैं......विराम
उस......सांवली गहराई को छूना है
तमाम अर्थो में उतरना हैं,
अस्तित्व होना है......आज
स्पर्श दो मुझे.
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