उसने कहा .......
धरती और आकाश
मेरे भीतर,
सारी संवेदना जैसे,
नमन में,
धरकने लगी हो .....
उसने कहा ...
पीपल,
बरगद
और
मैना. .....
जैसे,समस्त प्रकृति ने,
अपनी धुरी पर,
अथाह करवट से,
मूझे छुआ हो,
जैसे हरी सिहरन ने,
पोर पोर रोमांचित किया हो
साँसो के लय में,
कुछ मद्धम मगर
अदभुत स्वर में,
कहा उसने,
नीम की जड़ों में फैली... ...
दिव्य रासयनिक ऊर्जा को देखो
देखो अदृश्य उर्वरता को......
समय के आश्चर्य देखो... ...
देखो झील की
नीली गहराई....
इस मादक मौन की सत्ता में आयो,
अशरीरी होने के,
रूपांतरन को देखो........
आकाश के विराट में,
सतरंगी धाराओं को
देखकर ..... ...
ढलते सूरज की,
सिन्दूरी लालिमा को छूकर,
जब कहा उसने.... .. ..
स्पर्श. .........
मेरे स्मरण में आई,
......माँ ....
पहला पोषण
माँ की तमाम अनदेखी,
सूख्श्म कलाएं
उसकी पहली सीख,
और... ...
जीवन के अगनित खनिज
जिन्होंने हमेशा मेरी नज़र उतारी है.
स्मरण में आई
वो समस्त नैसर्गिक क्रियाएं
जो अपनी निर्धारिता में गतिमान रहती हैं,
......और.......
स्मरण में आए,
वोह.......मेरे बचपन के साक्षी,
मेरे सहयात्री,
मेरी गोपनीयता को बचाने वाले,
तमाम रहस्यों के रोचक कथाकार,
जिनकी आँखों में,
रात.....दिन,
तैरते थे.....
जैविक ऊर्जा के नमी कण,
मेरे परम सखा,
मेरे प्रथम मित्र,
वो.........दिवंगत पितृ.
जो देते हैं,
आज भी,
मेरी सीमाओं को.......
दिशाओं को.......
अदृश्य सुरक्षा.
भरते हैं,
मेरी नाभी में,
मांगलिक संकेत.
Pe
धरती और आकाश
मेरे भीतर,
सारी संवेदना जैसे,
नमन में,
धरकने लगी हो .....
उसने कहा ...
पीपल,
बरगद
और
मैना. .....
जैसे,समस्त प्रकृति ने,
अपनी धुरी पर,
अथाह करवट से,
मूझे छुआ हो,
जैसे हरी सिहरन ने,
पोर पोर रोमांचित किया हो
साँसो के लय में,
कुछ मद्धम मगर
अदभुत स्वर में,
कहा उसने,
नीम की जड़ों में फैली... ...
दिव्य रासयनिक ऊर्जा को देखो
देखो अदृश्य उर्वरता को......
समय के आश्चर्य देखो... ...
देखो झील की
नीली गहराई....
इस मादक मौन की सत्ता में आयो,
अशरीरी होने के,
रूपांतरन को देखो........
आकाश के विराट में,
सतरंगी धाराओं को
देखकर ..... ...
ढलते सूरज की,
सिन्दूरी लालिमा को छूकर,
जब कहा उसने.... .. ..
स्पर्श. .........
मेरे स्मरण में आई,
......माँ ....
पहला पोषण
माँ की तमाम अनदेखी,
सूख्श्म कलाएं
उसकी पहली सीख,
और... ...
जीवन के अगनित खनिज
जिन्होंने हमेशा मेरी नज़र उतारी है.
स्मरण में आई
वो समस्त नैसर्गिक क्रियाएं
जो अपनी निर्धारिता में गतिमान रहती हैं,
......और.......
स्मरण में आए,
वोह.......मेरे बचपन के साक्षी,
मेरे सहयात्री,
मेरी गोपनीयता को बचाने वाले,
तमाम रहस्यों के रोचक कथाकार,
जिनकी आँखों में,
रात.....दिन,
तैरते थे.....
जैविक ऊर्जा के नमी कण,
मेरे परम सखा,
मेरे प्रथम मित्र,
वो.........दिवंगत पितृ.
जो देते हैं,
आज भी,
मेरी सीमाओं को.......
दिशाओं को.......
अदृश्य सुरक्षा.
भरते हैं,
मेरी नाभी में,
मांगलिक संकेत.
Pe
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