Saturday, February 2, 2019

एक कोशिश

अब की बार तुम, मेरे जन्मदिन के अहसास को मिठाई में ना बांटना.. ...
उनके पास घर जैसा सब कुछ है,
मगर... .
तुम्हारे जैसा कोई नहीं
टीचर बताती है,
....उन्हें... 
कोई नहीं सुलाता,
नाईट सूट पहनाकर,
कोई ब्रश नहीं कराता,
उनके बालों में उंगलियां कोई नहीं सहलाता.. . ...
उनकी नीदों को,
परीलोक के सपनों से कोई नहीं सजाता,
जब तारे टिमटिमात्ते हैं.. .  ............ ........
और,
दूर आसमान पर कुछ चमकता,
सफ़ेद गोलाकार नज़र आता है
 ........अंधेरा......
जब पूरी तरह उनकी आँखों में उतर जाता है,
वे.......
बत्तियां बुझाते हैं..... 
बिस्तर में छिपकर,
आदतवश सो जाते हैं.
उनकी रातों में,
बिस्तर
तकिया
भरपूर
सन्नाटा है
मगर....... 
लौरी जैसा कुछ नहीं
उनके शिशुनिकेतन में,
चार दीवारें
एक छत्त है
घर जैसा सब कुछ है वहां
मगर.......
माँ नहीं
माँ.........
तुम एक कोशिश करना
मेरी गुलक के जमा सिक्कों से
सुनहरी परी के पँख लाना
जादू की छड़ी भी,
फिर परीलोक जाना,
जैसे आती हो मेरे सपनों में.....
उनके सपनों में भी आना
तुम उनकी परी माँ बन जाना
अब की बार,
मैं अपने जन्मदिन पर
माँ ... . .......
तुम्हें . .... ....
शिशुनिकेतन मैं बाँटूंगी.
तुम, मे्रे जन्मदिन के एहसास को
 वर्ष में एक बार नहीं.. .... 
पल पल मनाना,
पौर पौर  मनाना
शिशुनिकेतन को,
गोद में भर लेना
अपने अंक से लगाना
 वे ...... ...
तेरी ममता के पंखो से भरेंगे,
हौंसलों की उड़ान,
शिशुनिकेतन की खिड़कियों से हो जायेंगे आसमान.
तुम मेरे जन्मदिन के अहसास में उनकी जननी हो जाना
अब की बार ...  . ... 
मेरे जन्मदिन के अहसास को,
माँ .. .... . ... ... 
मिठाई में ना बांटना........

  . 







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चूड़ियों की खनक थी वहाँ, काँच की चुभन भी..... खामोश थी वह, कुछ हैरान भी लगातार, वह तलाशती है कुछ अनदेखा...... भीतर गहरे में कहीं गूँजत...