कई बार उसने बेचैन नज़रों से,
एक प्रष्न पूछना चाहा.......
तुम्हारी नींदों को,
कैसे सपने आते हैं?
मेरा सबसे हसीन.....
और,
ख़ास शौक है,
सपनों को नींदों में नहीं,
आँखों से देखना.
मेरे सपनों में,
फूलों से भरा रास्ता है......
और,
अजनबी शहर
भीगते मौसम है वहाँ,
बूँदों की आवाज़
और
धूप साथ साथ
बादलों का हुजूम,
शहर की छत्तों को,
चूमता है...........
देता है,
हरी सौगात.
छतनार गुलमोहर
और
चीड़ की बाहों में,
हवाएं डेरा डालती हैं.........
मेरे सपने,
जातें हैं,
किसान के घर,
देखते हैं,
मुस्कुराते खेत,
पसीने से महकते,
रिश्ते और आँगन
नापते हैं,
धान की गहराई.........
मक्की संग बतियाते हैं,
गोबर से लीपी,
ज़मीन को छूकर,
जीवन की सुगंध पाते हैं...........
मैं..........
सपने में देखती हूँ,
केसरी रंग.......
आगाज़ का,
अंजाम का
जो उतरता है
मद्धम मद्धम
साँसों में,
फैलता है,
रगों में
लहु में जब बोलता है उफान
मैं.........
सूरज के सीने में,
आँखों से झांकती हूँ
लपेटकर उसकी किरणों को माथे में,
खोलती हूँ,
शहर का हर किवाड़
मैं.........
ऐसा सपना,
रोज़, खुली आँखों से जीती हूँ
क्या........? तुम,
मेरे इस,
ख़ास और हसीन शौक को,
महसूस करना चाहोगे
ऐ दोस्त,
कोशिशें कामियाब होती हैं.............
एक प्रष्न पूछना चाहा.......
तुम्हारी नींदों को,
कैसे सपने आते हैं?
मेरा सबसे हसीन.....
और,
ख़ास शौक है,
सपनों को नींदों में नहीं,
आँखों से देखना.
मेरे सपनों में,
फूलों से भरा रास्ता है......
और,
अजनबी शहर
भीगते मौसम है वहाँ,
बूँदों की आवाज़
और
धूप साथ साथ
बादलों का हुजूम,
शहर की छत्तों को,
चूमता है...........
देता है,
हरी सौगात.
छतनार गुलमोहर
और
चीड़ की बाहों में,
हवाएं डेरा डालती हैं.........
मेरे सपने,
जातें हैं,
किसान के घर,
देखते हैं,
मुस्कुराते खेत,
पसीने से महकते,
रिश्ते और आँगन
नापते हैं,
धान की गहराई.........
मक्की संग बतियाते हैं,
गोबर से लीपी,
ज़मीन को छूकर,
जीवन की सुगंध पाते हैं...........
मैं..........
सपने में देखती हूँ,
केसरी रंग.......
आगाज़ का,
अंजाम का
जो उतरता है
मद्धम मद्धम
साँसों में,
फैलता है,
रगों में
लहु में जब बोलता है उफान
मैं.........
सूरज के सीने में,
आँखों से झांकती हूँ
लपेटकर उसकी किरणों को माथे में,
खोलती हूँ,
शहर का हर किवाड़
मैं.........
ऐसा सपना,
रोज़, खुली आँखों से जीती हूँ
क्या........? तुम,
मेरे इस,
ख़ास और हसीन शौक को,
महसूस करना चाहोगे
ऐ दोस्त,
कोशिशें कामियाब होती हैं.............
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