Monday, February 4, 2019

मछलियां,
मगरमच्छ का
आसान शिकार,
हो सकती हैं.   .......
इस अहसास के साथ,
उसने,
भंवर के अँधेरे में,
तैरना......स्वीकार किया,
उसे,
आजीवन कारावास
कभी मान्य ना था
वह,
जानती है,
बड़ी निर्ममता के साथ......
उसे......
दलित,
और
बेबस
घोषित किया जा सकता है
जंगल में फैली आग......
कभी भी,
अपनी दिशा,
बदल सकती है
दल....दल
अँधेरा,
नरभक्षी
कोई भी
उसकी चुनौती हो सकते है.......
उसने,
स्वतंत्रता को,
दूषित होने से,
बार....बार.. बचाया
उसकी तलाश है,
वह मुख्य धारा.....
जो ले जाएगी उसे
रोशनी के,
अंतिम सत्य तक
वह जानती है
उसकी जड़ों को,
कमज़ोर कर,
बिना रीड़ का ग्रास बनाने की.....
सदियों ने,
भरपूर,
तैयारी की है
सभ्यता में,
लुप्त होना......
उसे पूरी तरह,
अस्वीकार है.
......वह......
समस्त कर्कशताओं से गुज़रकर,
जीवन को,
पूरी तरह से,
सींचना चाहती है,
समुन्द्र हो जाना चाहती है.......


K


2 comments:

चूड़ियों की खनक थी वहाँ, काँच की चुभन भी..... खामोश थी वह, कुछ हैरान भी लगातार, वह तलाशती है कुछ अनदेखा...... भीतर गहरे में कहीं गूँजत...