उसके,
अद्खुले होंठों पर
बेज़ुबां बातें थीं.......
विरासत में थे
मैले दिन
और
बदनाम रातें......
कुछ,
ज़िद्द थी
थोड़े,
होंसले भी
इंसान हो पाने की कोशिश,
जीने का सामान भी था
मैंने,
वो
सब सुना
जो,
उसने
कभी ना कहा
मैंने,
वो
सब छुआ
जो भी
उसने छुपाया ......
अद्खुले होंठों पर
बेज़ुबां बातें थीं.......
विरासत में थे
मैले दिन
और
बदनाम रातें......
कुछ,
ज़िद्द थी
थोड़े,
होंसले भी
इंसान हो पाने की कोशिश,
जीने का सामान भी था
मैंने,
वो
सब सुना
जो,
उसने
कभी ना कहा
मैंने,
वो
सब छुआ
जो भी
उसने छुपाया ......
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